Madhu varma

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लेखनी कविता -उग रहा है दर-ओ-दीवार से सबज़ा ग़ालिब - ग़ालिब

उग रहा है दर-ओ-दीवार से सबज़ा ग़ालिब / ग़ालिब


उग रहा है दर-ओ-दीवार से सबज़ा ग़ालिब
हम बयाबां में हैं और घर में बहार आई है

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